Friday, January 1, 2016

असहिष्णुता के बखेड़े को जवाब है अदनान की नागरिकता


पाकिस्तानी मूल के गायक अदनान सामी के भारतीय नागरिक होने का घटनाक्रम देश में वितंडा के रूप में खड़ी की गई कथित असहिष्णुता के लिए माकूल जवाब है। इस एक वाकये ने स्पष्ट संकेत भी दे दिए हैं कि जिन लोगों को भारत का माहौल अब रहने के लायक नहीं लगता उन्हें अपने बारे में विचार करना चाहिए। अदनान द्वारा भारतीय नागरिकता लिया जाना यह साबित करता है कि यहां की आबोहवा में अब भी सहिष्णुता उसी तरह से रची-बसी है जैसा कि इसका अतीत का संस्कार रहा है। नए साल का पहला दिन शाहरुख खान और आमिर खान जैसे लोकप्रिय अभिनेताओं के लिए भी सबब है कि जिस देश उन्हें सिर माथे पर बिठाया उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बयानबाजी कर उन्होंने किस तरह का घिनौना कृत्य किया था। भारत का इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा। जब एक पाकिस्तानी कलाकार भारत को खुद के लिए सबसे मुफीद और सुरक्षित देश पा रहा है तो भला यहां पैदा हुए पले-बढ़े और नाम-शोहरत कमाए इन कलाकारों को कहां से असुरक्षा की भावना छू गई या फिर देश का माहौल बिगड़ा हुआ लगा कि बेसिर-पैर की बात करने लगे। सोचने वाली बात यह है कि आखिरकार अब वे साहित्यकार क्या करेंगे जो सिंडिकेट बनाकर अपनी-अपनी उल-जुलूल विचारों के काले अक्षरों से भरी किताबों को न सिर्फ अच्छे प्रकाशनों से छपवा लेते हैं बल्कि सिंडिकेटी की वजह से साहित्य अकादमी जैसे पुरस्कारों पर भी डाका डाल देते हैं। वैसे ही साहित्यकारों की जमात ने असहिष्णुता का कृत्रिम माहौल तैयार कर पुरस्कार लौटाने का भी वितंडा किया। अच्छी बात यह रही है कि जिस काल में देश के माहौल को खराब घोषित करने की कोशिश हुई उसी दौर में एक पाकिस्तानी ने यहां की नागरिकता लेकर कई लोगों को अपने गिरेबां में झांकने की सीख भी दी है। अब इन बुद्धिजीवियों को सोचना होगा कि असहिष्णुता का हौव्वा खड़ा कर इन लोगों ने वैश्विक पटल पर देश की छवि खराब कर कौन सा स्वार्थ सिद्ध कर लिया है।